देहरादूनः राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण, उत्तराखंड के सभागार में राज्य वित्त सेवा संवर्ग के प्रशिक्षु अधिकारियों के लिए एक विशेष प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना तथा राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना के क्रियान्वयन और वित्तीय पक्षों पर विस्तार से जानकारी दी गई।
कार्यशाला की अध्यक्षता राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष अरविंद सिंह हयांकी ने की। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों को सेवाकाल के दौरान सकारात्मक सोच, अनुशासन, समयबद्धता और गुणवत्ता के साथ कार्य करते हुए मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता देने का संदेश दिया। उन्होंने आयुष्मान योजना को जनकल्याण की एक महत्वपूर्ण पहल बताते हुए इसके संचालन में आने वाली चुनौतियों और उनके समाधान पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि योजना के अंतर्गत प्रति परिवार प्रतिवर्ष ₹5 लाख तक की नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवाएं सूचीबद्ध अस्पतालों में उपलब्ध कराई जाती हैं तथा अस्पतालों की निरंतर मॉनिटरिंग की जाती है।
कार्यशाला में राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के निदेशक (वित्त) अभिषेक आनंद ने योजनाओं की कार्यप्रणाली, इंपैनलमेंट प्रक्रिया, उपचार एवं भुगतान प्रणाली, पोर्टल संचालन, और वित्तीय जटिलताओं के समाधान की प्रक्रिया पर व्यापक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) की गाइडलाइनों के अनुसार योजना में लगभग 1900 मेडिकल पैकेज सम्मिलित किए गए हैं। साथ ही, सभी सूचीबद्ध चिकित्सालयों में आयुष्मान मित्रों की तैनाती की गई है, जो लाभार्थियों की सहायता करते हैं।
उन्होंने प्री-ऑथराइजेशन प्रोसेसिंग डॉक्टर्स (PPD) और क्लेम प्रोसेसिंग डॉक्टर्स (CPD) की भूमिकाओं को भी विस्तार से समझाया। इसके अलावा, वय वंदना कार्ड, सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों के लिए कैशलेस उपचार सुविधा जैसे विशेष पहलुओं की भी जानकारी दी गई। दावों की जांच के लिए नेशनल एंटी फ्रॉड यूनिट और स्टेट एंटी फ्रॉड यूनिट की कार्यप्रणाली पर भी प्रकाश डाला गया।
इस अवसर पर प्राधिकरण के निदेशक (प्रशासन) डॉ. विनोद टोलिया, अपर निदेशक निखिल त्यागी, पुनीत गुप्ता, तथा प्रशिक्षु अधिकारी मयंक सक्सेना, आयुषी जोशी, राजीवकांत, सतीश चंद्र, ललित मोहन पांडे, आकाश रघुवंशी, दीपक जोशी आदि उपस्थित रहे।
यह कार्यशाला प्रशिक्षु अधिकारियों के लिए योजनाओं की गहराई से समझ विकसित करने और भविष्य में नीतिगत कार्यों में प्रभावी भूमिका निभाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।