उत्तराखंड,देहरादून। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ,राष्ट्र वादी उत्तराखण्ड पार्टी ,सीटू ,बस्ती बचाओ आन्दोलन ,जनवादी महिला समिति ,उत्तराखण्ड आन्दोलनकारी संयुक्त परिषद ,एस एफ आई,एआईएलयू तथा नेताजी संघर्ष समिति ने आज बस्तियों को मालिकाना हक देने की मांग को लेकर जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया। ज्ञापन मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कपिल ने लिया ।उन्होंने प्रतिनिधि मण्डल को आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया
ज्ञापन में तमाम संगठनों ने मुख्यमंत्री को अवगत कराते हुए कहा कि अब जबकि मलिन बस्तियों की सुरक्षा के सन्दर्भ में पिछला अध्यादेश समाप्त हो गया ,विभिन्न समाचार पत्रों के माध्यम से संज्ञान में आया है कि सरकार राज्य की लगभग 580 बस्तियों की सुरक्षा के लिऐ फिर से अध्यादेश ला रही है ।इस सन्दर्भ में राज्य की सत्ता एवं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस द्वारा समाचार पत्रों में पिछले कुछ समय से लगातार बयानबाजी चल रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में वायदा किया था कि चुनाव जीतने के बाद आप सर्वप्रथम मलिन बस्तिवासियों को मालिकाना हक देंगे ,पिछले निकाय चुनाव में फिर से वायदा कर गरीबों के वोट हासिल करने में सफलता हासिल की किन्तु फिर भी मालिकाना हक नहीं दिया गया।
दूसरी ओर कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार भी विभिन्न अवसरों पर यही अलाप करती रही लेकिन सत्ता में रहते हुये इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं किया जब विपक्ष में आये फिर से बस्तियों के मालिकाना हक की बात करने लगे ।गत दो माह पूर्व भी जब बस्तियों को उजाडा़ जा रहा था तब भी दोनों पार्टियां चुप रही ।
इन संगठनों का कहना है कि यही हाल फ्लड जोन नापने के नाम पर हो रहा है ।आपकी सरकार द्वारा राजधानी देहरादून मे के बिन्दाल एवं रिस्पना नदियों के इर्दगिर्द लगभग 10 हजार करोड़ की एलिबैटैड रोड़ प्रस्तावित की गई है जिससे लगभग 50 हजार आबादी के विस्थापन का खतरा बना हुआ है ।ताजुब कि बात है कि आपके योजनकारों के द्वारा दशकों से बसे यहां रह रही आबादी को अतिक्रमणकारी कहा है जबकि 2003 नारायण दत्त तिवारी सरकार में इन्ही क्षेत्रों के वासिंदों को रिवर डैवलपमैंट फ्रन्ट के तहत प्रभावित आबादी के लिऐ पुर्नवास एवं मुआवजे का प्रावधान किया था ।
ज्ञापन में मालिन बस्तियों के नियमितीकरण के लिए प्रमुख मांगे
- बस्तियों कि सुरक्षा के लिऐ अध्यादेश के साथ साथ नियमितीकरण की प्रक्रिया अविलंब लागू करते हुऐ सभी बस्तीवासियों को मालिकाना हक दिया जाये ।
- एलिबैटैड रोड़ के नाम पर गरीबों को उजाड़ना बन्द किया जाये ।
- ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती जमीनों ,नाले ,खाले ,डूब क्षेत्र तथा चाय बगानों तथा जंगल के किनारे बसी आबादी को मालिकाना हक दिया जाये ।
- फ्लड जोन के नाम पर बस्तियों को हटाना बन्द करो ।
- एनजीटी के आदेश के नाम पर रिस्पना नगर निगम देहरादून तथा एमडीडीए द्वारा हटाई गई काठ बंगला ,गब्बर सिंह बस्ती ,राजीव नगर ,बारि घाट ,दीपनगर अजबपुर ,चुना भट्टा अधोईवाला के विस्थापितों का पुर्नवास किया जाये ।
इस अवसर पर सीपीएम सचिव अनन्त आकाश ,सीआईटीयू महामंत्री लेखराज ,जनवादी महिला समिति की प्रान्तीय उपाध्यक्ष इन्दु नौडियाल ,आयूपी के केन्द्रीय अध्यक्ष नवनीत गुसांई ,एस एफ आई के प्रदेश उपाध्यक्ष शैलेन्द्र परमार ,बस्ती बचाओ आन्दोलन के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह ,महामंत्री प्रेंमा ,कोषाध्यक्ष सोनू , सीआईटीयू कोषाध्यक्ष रविंद्र नौडियाल ,नेताजी संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रभात डण्डरियाल ,एआईएलयू के अनुराधा , अभिषेक भण्डारी ,उत्तराखण्ड आन्दोलनकारी संयुक्त परिषद के केन्द्रीय उपाध्यक्ष जगमोहन सिंह रावत, जिलाध्यक्ष सुरेश कुमार,आयूपी के नेता पंवार तथा उपेन्द्र प्रसाद ,प्रेंमबल्लभ भट्ट आदि उपस्थित थे।