उत्तराखंड में जनजागरण की पुकार : माफियापरस्त राजनीति से मुक्ति का संकल्प

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देहरादून, (विशेष संवाददाता)। कभी अपनी शांति, सरलता और सौहार्द्र के लिए पहचाना जाने वाला उत्तराखंड आज माफियापरस्त राजनीति और गुंडागर्दी की छाया से जूझ रहा है। सत्ता और स्वार्थ के खेल में लिप्त तत्वों ने इस देवभूमि की निर्मल वादियों और शालीन जनमानस के वातावरण को प्रदूषित करना शुरू कर दिया है।

इसी पृष्ठभूमि में मूल निवास भू-कानून संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने आज गांधी पार्क स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के आगे राज्य के जागरूक नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और युवाओं को संकल्पित कर एक स्वर में जनजागरण अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान का उद्देश्य है—जनता को सचेत करना, भयमुक्त समाज की स्थापना करना और राजनीति को पुनः सेवा का माध्यम बनाना। कार्यक्रम की शुरुआत जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा को पुष्पांजलि अर्पित करने से हुई।

जन-जागरण अभियान में सम्मिलित हुए वरिष्ठ उत्तराखंड आंदोलनकारी एवं समाज सेवी रघुबीर सिंह बिष्ट ने विगत कुछ वर्षों से उत्तराखंड में घटित घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि चाहे वो अंकिता भण्डारी हत्याकांड हो,शिक्षित युवाओं पर कुठाराघात करने वाला पेपर लीक भर्ती घोटाला हो,रवि डोभाल हत्याकांड हो, अभी हाल में हुए पौड़ी तलसारी गांव के निवासी जितेंद्र कुमार की दर्दनाक मौत हो,पंचायत चुनावों में नैनीताल जिला पंचायत के सदस्यों का बंदूक की नोक पर अपहरण हो,इन सब में सत्ताधारी दल के लोगों का नाम सामने आया है इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड जैसे शांत प्रदेश में सत्ता पूरी तरह निरंकुश हो चुकी है।आज सत्ता में बैठे लोगों का गुंडा, माफियाओं के साथ सम्बन्ध जगजाहिर हो चुका है।

भूतपूर्व सैनिक संयुक्त मोर्चा के पीसी तिवारी ने कहा कि कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत ने भाजपा के खाते में खनन माफिया से तीस करोड़ की एफडी का खुलासा किया है। क्या भाजपा सरकार इसकी निष्पक्ष जांच कराएगी,आज माफिया सरकार को चला रहे हैं तथा प्रदेश के संसाधनों को सरकार की मिलीभगत से ठिकाना लगाया जा रहा है। जनता को अब पुनः भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जुट होकर आन्दोलन के लिए आगे आना होगा जिससे प्रदेश बच सके।

लोक कलाकार, व्यंग्यकार, कृष्णा बगोट ने तंज़ भरे गीतों से सरकार पर कटाक्ष कर उपस्थित लोगों को आन्दोलन के लिए प्रेरित किया।

अभियान से जुड़े जन-मानस का कहना है—

“उत्तराखंड की पहचान शांति और सरलता है। अगर हम चुप रहे तो यह पहचान खो जाएगी। हमें संगठित होकर अपनी देवभूमि को बचाना होगा।”

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने लोगों से आग्रह किया है कि वे न केवल गुंडागर्दी और माफियावाद का विरोध करें, बल्कि सही नेतृत्व को आगे बढ़ाने में अपनी भागीदारी भी सुनिश्चित करें। गाँव-गाँव, कस्बों और शहरों में “साफ राजनीति, सुरक्षित उत्तराखंड” का संदेश दिया जा रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंदोलन केवल विरोध का नहीं, बल्कि सकारात्मक बदलाव का अभियान है। यह जनता को अपनी ताकत और जिम्मेदारी का एहसास कराता है।

उत्तराखंड का जनमानस एक बार फिर उसी दिशा में कदम बढ़ा रहा है, जहाँ राजनीति का अर्थ सेवा, समाज और संस्कार हो, न कि डर, दबाव और धनबल।

कार्यक्रम का संचालन संयोजक लुसन टुडारिया ने किया।

By Jagriti Gusain

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