देहरादून। प्रेस क्लब में बेरोजगार नर्सिंग अधिकारियों का महासम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें परीक्षा आधारित भर्ती की जगह पूर्व व्यवस्था तथा वर्षवार ज्येष्ठता को बहाल करने की जोरदार मांग उठी।
नर्सिंग बेरोजगारों ने कहा कि 12 वर्षों बाद 2020 में हुई भर्ती में कई उम्मीदवार उम्र अधिक हो जाने के कारण वंचित रह गए। वहीं, बाहरी अभ्यर्थियों के आवेदन करने और एक ही व्यक्ति का दो-दो बार चयन होने से अनेक स्थानीय नर्सिंग बेरोजगार स्थायी रूप से बाहर हो गए, जिससे उनके सामने रोज़गार का गहरा संकट खड़ा हो गया।
वर्तमान में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में 1000 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई है, लेकिन नियमावली के अनुसार परीक्षा आधारित भर्ती की तैयारी हो रही है। इसको लेकर नर्सिंग बेरोजगार संघ विरोध जता रहा है। उनका कहना है कि भर्ती वर्षवार आधार पर नियमित रूप से होनी चाहिए, न कि चार-चार साल बाद। साथ ही, स्थानीय बेरोजगारों को प्राथमिकता न देना उनके साथ सरासर धोखा है।
नर्सिंग बेरोजगारों ने सरकार से मांग की है कि—
- पूर्व की नियुक्ति व्यवस्था बहाल की जाए।
- आयु सीमा पार कर चुके युवाओं को छूट दी जाए।
- बाहरी अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया से बाहर रखा जाए।
उनका आरोप है कि सरकार नियमावली का हवाला देकर बाहरी प्रदेश के चहेते उम्मीदवारों को अवसर देना चाहती है, जो उत्तराखंड के बेरोजगारों के हितों पर कुठाराघात है।
महासंघ का कहना है कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों और चिकित्सा शिक्षा विभाग में बड़ी संख्या में पद खाली हैं, जिन्हें भरकर स्थानीय युवाओं को रोज़गार देना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने शीघ्र भर्ती कर स्थानीय बेरोजगार नर्सिंग अधिकारियों को न्याय नहीं दिया तो वे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।