पौड़ी गढ़वाल,उत्तराखंड। राठ क्षेत्र के पैठाणी गांव में लगभग 101 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद घण्डियाल (घण्टाकर्ण) देवता के निशाण का उठांगण किया जा रहा है। इस ऐतिहासिक आयोजन को लेकर गांव और क्षेत्रवासियों में भारी उत्साह है। इतने लंबे समय बाद इस प्रकार के पूजा-अनुष्ठान का आयोजन होने से श्रद्धालु बेहद प्रसन्न और भावविभोर हैं।
गांव के बुजुर्गों के अनुसार, पिछली बार घण्डियाल देवता के निशाण को सन् 1923 में उनके पूर्वजों द्वारा निकाला गया था। अब, इतने वर्षों बाद, एक बार फिर से घण्डियाल देवता के निशाण का दर्शन होना पूरे गांव और क्षेत्र के लिए सौभाग्य की बात मानी जा रही है।
इस आयोजन के पहले चरण में, 10 दिसंबर को गांववासियों और देवताओं के डांगरों ने पूजा में उपयोग किए जाने वाले देव-भांडे व अन्य वर्तनों को ढोल-दमाऊ और गाजे-बाजे के साथ राहु मंदिर पैठाणी ले जाकर पवित्र स्नान की रस्म पूरी की। इसके बाद देवता को उनके थान पर स्थापित किया गया।
आज, 12 दिसंबर को सुबह 7:30 बजे राशि के अनुसार घण्डियाल देवता के निशाण को सुसज्जित कर वैदिक मंत्रोच्चारण और गाजे-बाजे के साथ देवता के थान से राहु मंदिर होते हुए उनके मायके सिलोली गांव ले जाया जाएगा। वहां दर्शन, पूजा-अर्चना और देव मंडाण के बाद देवता विभिन्न गांवों में भ्रमण करेंगे। लगभग 20-22 दिनों के बाद देवता अपने थान पैठाणी लौट आएंगे।
भूतपूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष, सुबेदार विक्रम सिंह कण्डारी ने बताया कि इतने बड़े देवकार्य के आयोजन से क्षेत्रवासियों में भारी उत्साह है। उन्होंने कहा कि 2 जनवरी को पैठाणी गांव में आसपास के गांवों के लोगों को घण्डियाल देवता के दर्शनार्थ आमंत्रित किया गया है। इसी दिन गांव की दिशा-धियाणियों का आगमन भी होगा। रातभर मंडाण का आयोजन रहेगा, और इस दौरान देवता का भंडारा अनवरत चलता रहेगा।
4 जनवरी को शुभ मुहूर्त में देवता के पट बंद कर पूजा का विधिवत समापन किया जाएगा।