देहरादून में ऐतिहासिक स्थलों पर राजनीतिक, सामाजिक कार्यों के प्रतिबन्ध से सीपीआई(एम) सहमत नहीं – अनंत आकाश

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देहरादून। सीपीआई (एम) के सचिव अंनत आकाश ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर विगत दिनों उनके द्वारा जारी आदेश से असहमति जताई है। जिसमें जिलाधिकारी ने यातायात व्यवस्था तथा जन आक्रोश को मद्देनजर देहरादून शहर के मुख्य स्थान,चौक चौराहों पर जैसे ,एस्ले हाल ,गांधी पार्क ,घण्टाघर ,दर्शन लाल चौक ,तहसील चौक , बुद्धा चौक तथा लैन्सडाऊन चौक के इर्दगिर्द जलूस ,प्रदर्शन तथा धरने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया था।

उन्होंने पत्र में लिखा कि इस सन्दर्भ में आपके द्वारा एकतरफा आदेश से हमारी पार्टी सहमत नहीं है ।आपके द्वारा जो भी स्थान प्रतिबन्धित सूची में डाले गये वे ऐतिहासिक स्थल है ,जहां हमारे राष्ट्र की ऐतिहासिक धरोहरें हैं ,गांधी पार्क में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी,देश के पहले प्रधानमन्त्री पण्डित जवाहर नेहरू ,नेताजी सुभाषचंद्र बोस आदि महानुभावों की आदमकद मूर्तियां स्थापित हैं।

इसी प्रकार घण्टाघर के इर्दगिर्द संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर देश के प्रथम गृहमंत्री लोहपुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल,पर्वतीय गांधी इन्द्रमणी बडोनी ,हिमाचय पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री तथा केन्द्रीय वित्त मंत्री स्व0 हेमवन्ती नन्दन बहुगुणा जी की मूर्ति लगी हुई है। बुद्धा चौक पर बुद्ध भगवान की आदमकद मूर्ति स्थापित है । दीनदयाल पार्क में वर्तमान डबल इन्जन सरकार के प्रेणता पण्डित दीनदयाल उपाध्याय की मूर्ति है। इन महापुरूषों के मानने वाले वक्त बेवक्त, विशेष अवसरों पर उन्हें याद करने के लिये सामूहिक रूप से दशकों से एकत्रित होते रहे हैं और आगे भी इकट्ठा होते रहेंगे ।

जिला मुख्यालय पर होने वाले सभी प्रदर्शन इन्ही स्थानों से गुजरते रहे हैं ,पूर्व में भी देहरादून से दूर जंगल में धरना-प्रदर्शन का स्थान आवंटित किया गया जिसका सर्वत्र विरोध हुआ था ।

अनंत आकाश ने कहा कि भारत एक जनतांत्रिक देश है जहां कोई अति महत्वपूर्ण फैसले लेने में चुने हुये जनप्रतिनिधियों,मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों तथा प्रमुख सामाजिक संगठनों, जानी-मानी हस्तियों की बैठक बुलाकर विचार विमर्श कर सोच समझकर फैसला लिया जाता है। लेकिन आज पुलिस रिपोर्ट तथा कुछ लोगों से फीडबैक के आधार पर बड़े फैसले लिये जाते हैं जो कि जनतांत्रिक व्यवस्था में ठीक नहीं है ।हमारी पार्टी उक्त फैसले की व्यापक समीक्षा की पक्षधर है ।आप सर्वदलीय बैठक बुलाकर लिये गये आदेश पर पुर्नविचार करें ।

By Jagriti Gusain

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