उत्तराखंड, देहरादून। आज से शारदीय नवरात्रि का पर्व आरंभ हो गया है, जिसे नारी शक्ति का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, नवरात्रि देवी दुर्गा की पूजा का सर्वोत्तम समय है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की आराधना की जाती है, और हर स्वरूप की विशेष महिमा होती है। आदि शक्ति जगदम्बा के प्रत्येक स्वरूप से भक्तों की विभिन्न इच्छाएं पूरी होती हैं।
मां शैलपुत्री पूजा मंत्र
देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नमः।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
बीज मंत्र:
“या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्त्यै नमस्त्यै नमस्तस्यै नमो नमः।”
कलश स्थापना विधि
शारदीय नवरात्रि 2024 की शुरुआत घटस्थापना से होती है। इसके लिए एक चौड़ा और खुला मिट्टी का पात्र लें, उसमें स्वच्छ मिट्टी भरें और पवित्र मौली बांधें। सप्त धान्य जैसे जौ, तिल, मूंग, चना, गेहूं आदि का उपयोग करें। अशोक या आम के पांच पत्ते, अक्षत और जटा वाला नारियल लें, जिसे लाल वस्त्र से लपेटा जाए। पूरी विधि के साथ कलश स्थापना करें और दुर्गा चालीसा का पाठ कर मां अंबे की आरती करें।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
यदि अभी तक घटस्थापना नहीं की है, तो आप आज के दूसरे शुभ मुहूर्त, 11:52 AM से 12:39 PM तक, घटस्थापना कर सकते हैं।
नवरात्रि पर विशेष ग्रह-नक्षत्र योग
इस वर्ष नवरात्रि की शुरुआत हस्त नक्षत्र में हो रही है, जो दोपहर 3:18 तक रहेगा। इस शुभ नक्षत्र में घटस्थापना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस वर्ष बृहस्पति, सूर्य और शनि का विशेष संयोग बन रहा है, जिससे मां दुर्गा की आराधना करने वाले भक्तों को अमृत का आशीर्वाद प्राप्त होगा।