सीपीएम का दो दिवसीय 17वां जिला सम्मेलन शुरू, साम्प्रदायिकता,महंगाई और बेरोज़गारी पर भाजपा को घेरा

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उत्तराखंड,देहरादून। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) का  दो दिवसीय 17वां जिला सम्मेलन देहरादून के कामरेड दाताराम उनियाल कालूमल धर्मशाला राजा रोड में विशाल रैली के साथ शुरू हुआ। रैली की शुरुआत दोपहर 1 बजे दीनदयाल पार्क से तहसील चौक, इनामुल्ला बिल्डिंग होते हुए सम्मेलन स्थल तक पहुंची,जहाँ इंदु नौडियाल ने पार्टी का झंडा फहराया और उपस्थित लोगों ने शहीद वेदी पर पुष्पांजलि अर्पित की।

सम्मेलन की अध्यक्षता पांच सदस्यीय अध्यक्ष मंडल, जिसमें कामरेड शिवप्रसाद देवली, इंदु नौडियाल, कमरुद्दीन, माला गुरूंग और अनंत आकाश शामिल थे,ने की। कामरेड राजेंद्र पुरोहित के शोक प्रस्ताव के साथ सम्मेलन की शुरुआत हुई। सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए पार्टी के राज्य सचिव मंडल सदस्य,कामरेड सुरेंद्र सिंह सजवाण ने पार्टी को शुभकामनाएं दी और आशा जताई कि यह सम्मेलन पार्टी के विकास में मील का पत्थर साबित होगा।

मुख्य वक्ता और पार्टी के राज्य सचिव राजेंद्र सिंह नेगी ने अपने संबोधन में राज्य में बढ़ती सांप्रदायिक घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की और इसके लिए भाजपा सरकार को सीधे जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि सरकार और पुलिस प्रमुख को बार-बार सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने की चेतावनी देने के बावजूद, उत्तरकाशी में अराजकता फैलाने का मौका कुछ तत्वों को दे दिया गया। उन्होंने राज्य की डबल इंजन सरकार की नीतियों के खिलाफ व्यापक संघर्ष का आह्वान किया।

सम्मेलन के दौरान मिनट्स कमेटी के लिए विनोद कुमार, एन एस पंवार, शैलेंद्र, और अयाज को चुना गया। क्रेडेंशियल कमेटी के लिए शंभू ममगांई, हिमांशु चौहान, और पुरुषोत्तम बडोनी को नियुक्त किया गया, प्रेस कमेटी के लिए अनंत आकाश, लेखराज, और अय्याज का चयन हुआ, और भोजन कमेटी के लिए भगवंत पयार, गगन गर्ग, रविंद्र नौडियाल, तथा गुरु प्रसाद को जिम्मेदारी दी गई।

सम्मेलन में पिछले तीन वर्षों की पार्टी की राजनीतिक, सांगठनिक और कार्य रिपोर्ट पेश की गई, जिस पर प्रतिनिधियों ने चर्चा की। सांप्रदायिकता के मुद्दे पर कामरेड इकराम ने प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसका समर्थन कामरेड अर्जुन रावत ने किया।

प्रमुख वक्ताओं में कामरेड लेखराज, नितिन मलैठा, विजय भट्ट, एन एस पंवार, कृष्ण गूनियाल, नूरैशा अंसारी, अंजली पुरोहित, अनुराधा, गगन गर्ग, राम सिंह भंडारी, दयाकृष्ण पाठक, अर्जुन रावत, अय्याज, शैलेंद्र, सविशाम वेदी, ब्रह्मानंद, मामचंद, पुरुषोत्तम बडोनी, बृंदा मिश्रा, रानी, ममता राव, भगवान सिंह चौहान, इस्लाम, अमर बहादुर शाही, और राजेश कुमार आदि ने विचार व्यक्त किए।

 

 

By Jagriti Gusain

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