देहरादून। माकपा के सचिव आनन्त आकाश ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि आज महान समाजवादी क्रांति की 107वीं वर्षगांठ है आज दिन 7नवम्बर 1917 को कामरेड लेनिन के नेतृत्व में सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी ने रूस में समाजवादी व्यवस्था की नीव रखी थी। इतिहास में इसे अक्टूबर क्रान्ति के नाम से जाना जाता है ,पुराने रूसी कैलेंडर के हिसाब से यह दिन 25 अक्टूबर था,उन समय रूस में जारशाही का निरंकुश तन्त्र था ।जारशाही बड़े जमीदारों का मक्कड़ जाल था।धीरे धीरे नये पूंजीपतियों के उदय से कल कारखाने अस्तित्व में आये,खदानों का कार्य शुरू हुआ ।
उन्होंने कहा कि 1914 में जारशाही ने प्रथम विश्व युद्ध में हिस्सा लिया जर्मन के हाथों शिकस्त हुई हजारों लोग मारे गये,रूस कंगाल हो गया।जारशाही ने मजदूरों,किसानों तथा आम जनता पर दमन चक्र तेज किया दूसरी तरफ बोल्शेविको के नेतृत्व में जन विद्रोह शुरु हुआ जिसे इतिहास में फरवरी 1917 की क्रान्ति के नाम से जाना जाता है ,जिसमें जारशाही के खिलाफ ऐतिहासिक कदम उठाये गये
आज महान समाजवादी क्रान्ति की 107 वीं बर्षगांठ है ,कामरेड लेनिन के नेतृत्व में सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी ने 7 नवम्बर 1917 को रूस में समाजवादी व्यवस्था की नीव रखी गई थी,इस व्यवस्था के प्रादुभाव से ही सड़ी गली सामन्ती व्यवस्था की विदाई के साथ ही विश्व की पूंजीवादी इजारेदारी व्यवस्था को चुनौती मिलनी शुरू हुई ।
समाजवादी व्यवस्था से कुछ दशकों में सोवियत संघ में एक क्रान्तिकारी बदलाव हुआ सदियों से जारशाही के जुर्मों तले दबी जनता को मुक्ति मिली तथा उनके बेहतरीन जीवन के सपने साकार होने लगे,सोवियत व्यवस्था का असर विश्व के राष्ट्रों तथा उपनिवेशवादी देशों में भी पड़ने लगा,धीरे -धीरे इन राष्ट्रों में अपने लिऐ समाजवादी व्यवस्था तथा उपनिवेशवादी देशों से मुक्ति के लिए संघर्ष तेज हुऐ , सोवियत व्यवस्था ने हमारे देश के मुक्ति आन्दोलन में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से अपार सहयोग दिया ।
भारत की आजादी के बाद सोवियत संघ द्वारा हमारे देश के नवनिर्माण में दिये गये अभूतपूर्व सहयोग के लिए हमारे देश की जनता सदैव सोवियत जनता की ऋणी रहेगी । सोवियत व्यवस्था के आने के बाद जर्मनी तानाशाह हिटलर ने विश्व विजेता का जो स्वप्न संजोया था तथा सोवियत पर आक्रमण किया।वह कामरेड स्टालिन के नेतृत्व में सोवियत लाल सेना ने धाराशाही कर दिया,फांसीवादी हिटलर को अन्ततः आत्महत्या के लिए विवश होना पड़ा,पांच करोड़ से भी अधिक सोवियतों ने द्वितीय विश्व युद्ध में अपनी शहादत देकर विश्व में फासीवादी शासन आने से रोका ।
द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति तथा सोवियत संघ की विश्व में फासीवादी ताकतों पर अंकुश के बाद दुनिया में समाजवादी खेमा उभरती ताकत के रूप में सामने आया विश्व के अनेक राष्ट्रों ने समाजवादी रास्ता अपनाया तथा भारत सहित अनेक उपनिवेशवादी देशों ने आजादी की सांस ली।भले ही सोवियत संघ में आज समाजवादी व्यवस्था नहीं है किन्तु भारत सहित विश्व में सोवियत जनता द्वारा दिये गये अभूतपूर्व योगदान के लिए सदैव उनके ऋणी हैं ।
107 वीं वर्षगांठ पर उन तमाम शहीदों तथा मेहनतकश आवाम द्वारा दिये गये अभूतपूर्व योगदान को सदैव याद किया जाऐगा।आज हमारे देश में सत्ता के शीर्ष पर बैठे ताकतें हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष तथा जनतांत्रिक ताने बाने को निरन्तर कमजोर करने की साजिश करने में लगे हुए हैं तथा हमारे देश में फासिस्ट व्यवस्था कायम करने का स्वप्न देख रहे हैं जिसे हमारी देश की जनता कभी सफल नहीं होने देगी ।
अक्टूबर क्रान्ति की उपलब्धियां एक झलक :–
गृह युद्ध समाप्ति के दशक बाद ही निरक्षरता का उन्मूलन ।
7वर्ष के अन्तर्गत सार्वभौम शिक्षा लागू ।
भू स्वामित्व का खात्मा,सामुहिक फार्मों एव सहकारिता का विकास एवं खेतिहरों को स्वामित्व ।
सबके लिऐ मुफ्त स्वास्थ्य की गारंटी ।
महिलाओं के लिए समान अधिकार ।
देश का सांस्कृतिक विकास।