उत्तराखंड। प्रदेश के उपनल कर्मचारियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट से प्रदेश सरकार को झटका लगा है, जहां राज्य के 25,000 कर्मचारियों से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) खारिज कर दी है।
2018 में हाईकोर्ट ने उपनल कर्मचारियों के लिए नियमावली बनाने का आदेश दिया था और राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि जब तक यह नियमावली नहीं बनती, समान कार्य के लिए समान मानदेय दिया जाए। इस फैसले के खिलाफ प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसे अब खारिज कर दिया गया है।
उत्तराखंड के विभिन्न विभागों में 20-22 वर्षों से कार्यरत उपनल कर्मियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी जीत हासिल हुई है। उत्तराखंड सरकार द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उपनल कर्मियों के नियमितीकरण के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर उपनल कर्मियों के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसके खिलाफ तत्कालीन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को एआरओ राहुल प्रताप और उनकी टीम द्वारा इस मामले पर बहस की गई। अंततः, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को यथावत रखते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए कि वह आवश्यक कार्रवाई करे।
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद गोदयाल ने इस जीत को उपनल कर्मियों के लिए खुशी का दिन बताते हुए कहा कि उनके लंबे संघर्ष का अंत हो गया है।