राज्य सरकार करे सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन – एलिवेटेड रोड परियोजना से प्रभावितों ने सौंपा 13,000 हस्ताक्षरों सहित ज्ञापन

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देहरादून। जिला मुख्यालय पर बस्ती बचाओ आन्दोलन के बैनर तले एलिवेटेड रोड परियोजना से प्रभावित नागरिकों द्वारा जोरदार प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम 13,000 हस्ताक्षरों से युक्त ज्ञापन जिलाधिकारी के प्रतिनिधि उपजिलाधिकारी सदर  हरिगिरी को सौंपा गया। प्रदर्शनकारियों ने बस्तियों में रहने वाले लोगों के हक में न्यायोचित कार्यवाही की मांग की।

प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि धामी सरकार द्वारा एलिवेटेड रोड निर्माण का निर्णय जल्दबाजी में लिया गया है। न तो एनजीटी में प्रभावी पैरवी हुई और न ही उत्तराखंड हाईकोर्ट में बस्तियों के पक्ष में समुचित दलील दी गई। इस कारण हजारों परिवारों को अपने भविष्य को लेकर गहरी चिंता सता रही है। बस्तियों के निवासियों को भ्रमित किया जा रहा है तथा उन्हें परियोजना से जुड़े तथ्यों की सही जानकारी नहीं दी जा रही।

मुख्य मांगें और आरोप

  • सरकार सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुसार पुनर्वास, मुआवजा और विस्थापन नीति को लागू करने में विफल रही है।
  • बिन्दाल और रिस्पना क्षेत्र में प्रस्तावित 4 लेन एलिवेटेड रोड के तहत बस्तियों को उजाड़ने का खतरा है।
  • एनजीटी ने बस्तियों की वैधता पर सवाल उठाए हैं, और चिन्हांकन कर हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
  • हाईकोर्ट में सरकार की कमजोर पैरवी के कारण बस्तियों के पक्ष में कोई ठोस रुख नहीं अपनाया गया है।
  • गरीबों की बस्तियों को बलपूर्वक हटाने की कोशिशें हो रही हैं, जबकि बड़े कब्जाधारकों को संरक्षण प्राप्त है।
  • चुनाव पूर्व बस्तीवासियों को मालिकाना हक देने के वायदे किए गए थे, लेकिन चुनाव जीतने के बाद एलिवेटेड रोड जैसी परियोजनाओं को प्राथमिकता दी गई।

प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें

  1. एलिवेटेड रोड से उत्पन्न समस्याओं का समाधान सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुरूप किया जाए।
  2. प्रत्येक प्रभावित नागरिक को समुचित मुआवजा एवं पुनर्वास प्रदान किया जाए।
  3. एनजीटी द्वारा दिए गए बेदखली के निर्णय पर तुरंत रोक लगाई जाए।
  4. हाईकोर्ट में बस्तियों की रक्षा हेतु सरकार द्वारा प्रभावी पैरवी की जाए।
  5. सरकार अपने चुनावी वायदों के अनुसार बस्तीवासियों को मालिकाना हक दे।

सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए वक्ताओं ने जोर दिया कि:

  • किसी भी विकास योजना के लागू होने से पहले प्रभावितों को पूरी जानकारी और परामर्श दिया जाना चाहिए।
  • पुनर्वास और पुनर्स्थापन की नीति को अपनाते हुए नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
  • विकास के नाम पर आम नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।

इस अवसर पर बस्ती बचाओ आन्दोलन के संयोजक अनन्त आकाश, सीआईटीयू जिला महामंत्री लेखराज, कांग्रेस के मंडल अध्यक्ष मौ. अल्ताफ, संजय भारती, शम्भू प्रसाद ममगाई, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शिवप्रसाद देवली समेत अनेक सामाजिक कार्यकर्ता एवं नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

 

By admin

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