

देहरादून। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के सलाहकार अमरजीत सिंह ने कहा कि शहर के सिख समाज ने भाजपा समर्थित पदाधिकारियों द्वारा सनराइज होटल, देहरादून में आयोजित “पंजाबी एवं सिख समाज सम्मेलन” का बहिष्कार कर यह स्पष्ट संदेश दिया है कि भारतीय जनता पार्टी सिखों को “Take it for Granted” समझने की भूल न करे। उत्तराखंड नगर निकाय चुनाव से पहले सिख समाज ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस बार वे भाजपा के झूठे आश्वासनों और भ्रम में नहीं आएंगे। भाजपा ने सिखों को 1984 जैसे संवेदनशील मुद्दों का भय दिखाकर डराने का प्रयास किया है और समाज में सांप्रदायिक विभाजन करके अपने राजनीतिक लाभ के लिए वोट बटोरने की कोशिश की है।
उन्होंने कहा कि 20 जनवरी को आयोजित यह सम्मेलन पूरी तरह विफल रहा। भाजपा द्वारा 500 लोगों के शामिल होने का दावा किया गया था, लेकिन वास्तविकता यह रही कि कार्यक्रम में मात्र 20 सिख उपस्थित थे। देहरादून जिले में 50 से अधिक गुरुद्वारा कमेटियां और सिख संस्थाएं हैं, लेकिन मुख्यमंत्री की उपस्थिति के बावजूद इस कार्यक्रम में सिर्फ एक-दो सिख प्रतिनिधियों का आना यह दर्शाता है कि सिख समाज भाजपा की नीतियों को अच्छी तरह समझ चुका है।
भाजपा से जुड़ने के कारण सिख समाज को भारी नुकसान
भाजपा से जुड़ने के चलते सिख समाज को राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर उपेक्षा का सामना करना पड़ा है।
उत्तराखंड सरकार में सिखों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।
मुख्यमंत्री की कैबिनेट में एक भी सिख या पंजाबी मंत्री नहीं है।
भाजपा संगठन में भी सिखों की भागीदारी नगण्य है।
उत्तराखंड में एकमात्र अल्पसंख्यक आयोग, जहां सिखों को प्रतिनिधित्व मिलता था, उसे भी भाजपा ने समाप्त कर दिया।
भाजपा सिखों को केवल “शॉल ओढ़ाने और स्मृति चिह्न भेंट करने वाले समाज” के रूप में देखती है, जबकि प्रदेश की उन्नति, अर्थव्यवस्था, रोजगार और आपदाओं के समय उनके योगदानों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया जाता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की फेसबुक पोस्ट में “सिख” शब्द का उल्लेख न करना यह दर्शाता है कि भाजपा और उनके नेतृत्व की मानसिकता सिख विरोधी है।
सिखों को बदनाम करने वालों को भाजपा में जगह क्यों?
उनका कहना है कि भाजपा उन लोगों को प्रोत्साहित कर रही है, जिन्होंने सिखों को कभी “खालिस्तानी”, “आतंकवादी” और “देशद्रोही” कहकर बदनाम किया। भाजपा इन्हीं लोगों को अपने मंचों पर स्थान देकर सिख समाज में डर और विभाजन की भावना पैदा कर रही है ताकि सिख दबाव में आकर भाजपा का समर्थन करें।
सिख समाज भाजपा के खिलाफ एकजुट हो!
यह अत्यंत दुखद और शर्मनाक है कि सिख समाज की इतनी उपेक्षा और अपमान के बावजूद कुछ तथाकथित सिख नेता अपने स्वार्थ के लिए भाजपा के सामने नतमस्तक हो रहे हैं। मैं उत्तराखंड के सभी सिख और पंजाबी समाज के लोगों तथा उनकी संस्थाओं से अपील करता हूं कि भाजपा और संघ की विभाजनकारी मानसिकता को पहचानें और उनका बहिष्कार करें।
नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस का समर्थन करें!
कांग्रेस ने 1947 से अब तक न केवल प्रदेश और देश, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सिखों को सम्मान और प्रतिनिधित्व प्रदान किया है।
डॉ. मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह जैसे महान नेताओं ने देश की उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान दिया और सिखों की छवि को वैश्विक स्तर पर ऊंचा किया।
अब समय आ गया है कि सिख समाज एकजुट होकर सही निर्णय ले।
अपनी धार्मिक भावनाओं और सम्मान की रक्षा करें, भाजपा को सबक सिखाएं और प्रदेश व देश की तरक्की में सकारात्मक योगदान दें।